सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा कि चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को उनकी और उनके आश्रितों की सभी संपत्तियों का खुलासा करने की आवश्यकता नहीं है, जब तक कि यह वोटिंग पर असर डालने वाली न हो। इस निर्देश का उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और सहजता लाना है।
चुनावी संपत्ति खुलासे के नियमों में ढील
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने इस विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए स्पष्ट किया कि चुनाव लड़ने की प्रक्रिया में सरलता आवश्यक है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि केवल महत्वपूर्ण और महंगी संपत्तियों का ही खुलासा किया जाना चाहिए।
साल 2019 में, अरुणाचल प्रदेश से निर्दलीय विधायक के रूप में चुने गए कारिखो क्रि की सदस्यता गौहाटी हाईकोर्ट द्वारा रद्द कर दी गई थी। कारिखो ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। उनके खिलाफ याचिका में आरोप लगाया गया था कि उन्होंने नामांकन के समय अपनी पत्नी और बेटे की तीन गाड़ियों का खुलासा नहीं किया था।
नए नियम से चुनावी पारदर्शिता पर प्रभाव
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय ने चुनावी प्रक्रिया में एक नई दिशा तय की है। उम्मीदवारों पर अब केवल उन संपत्तियों का खुलासा करने का दबाव होगा जो वास्तव में मतदान पर प्रभाव डाल सकती हैं। इससे उम्मीदवारों के लिए नामांकन प्रक्रिया में सहजता आएगी और चुनावी लड़ाई में पारदर्शिता और स्पष्टता को बढ़ावा मिलेगा।
कारिखो क्रि की सदस्यता को बहाल करने का निर्णय न केवल उनके लिए बल्कि चुनावी प्रक्रिया के लिए भी एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है। इससे अन्य उम्मीदवारों को भी अपने चुनावी अभियानों में अधिक लचीलापन और स्पष्टता लाने का मौका मिलेगा।