मेक्सिको (राघव): मेक्सिको ने अपने देश में डायबिटीज और मोटापे के खिलाफ जंग छेड़ दी है। प्रशासन ने स्कूलों में जंक फूड पर पूरी तरह से बैन लगा दिया है। अधिकारियों ने बताया कि नमकीन और मीठे जंक फूट या प्रोसेस्ड फूड मेक्सिको में स्कूली बच्चों में पीढ़ियों से लोकप्रिय है। जंक फूड की वजह से देश में भारी मात्रा में मोटापे और डायबिटीज के मरीज हो रहे हैं। इससे निपटने के लिए सरकार ने इस पर बैन लगाने का फैसला किया है, जो कि शनिवार से प्रभावी हो जाएगा। मेक्सिको के शिक्षा मंत्रालय ने बैन के इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट किया, “अलविदा जंक फूड! यह बैन माता-पिता को अपने बच्चों के लिए भोजन पकाकर स्कूल भेजने और स्कूल में पका हुआ भोजन खिलाने के लिए प्रोत्साहित करेगा। यह हमारे लिए एक धर्मयुद्ध की तरह है।”
मेक्सिकन स्वास्थ्य सचिव मारियो डेलगाडो ने कहा कि नई मेक्सिकन स्कूल पद्धति में हमारा मूल उद्देश्य बच्चों को स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है। केवल हम ही नहीं बल्कि मेक्सिको के दंपत्तियों बीच में भी इस नीति को लेकर अच्छी खासी स्वीकृति है। सोमवार से लागू होने वाले इस प्रतिबंध के तहत अब मेक्सिको के स्कूलों में जंक फूड की जगह दूसरे तरह के पके हुए पौष्टिक खाद्य पदार्थ के विकल्प होंगे इसके अलावा स्कूलों को पीने के लिए सादा पानी भी देना होगा। प्रतिबंध का समर्थन करते हुए मेक्सिकन राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम ने कहा कि आलू के चिप्स के एक बैग की तुलना में बीन टेको (एक मेक्सिकन भोजन) खाना ज्यादा बेहतर है।
यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार मेक्सिको के बच्चे लैटिन अमेरिका के बाकी देशों की तुलना में कहीं ज्यादा जंक फूड खाते हैं। इसकी वजह से इन बच्चों में बचपन से ही मोटापे और डायबिटीज के अन्य लक्षण देखने को मिल जाते हैं। मेक्सिको की सरकार द्वारा मोटापे और डायबिटीज को लेकर किया जा रहा यह महत्वाकांक्षी प्रयास दुनियाभर में बारीकी से देखा जा रहा है। क्योंकि केवल मेक्सिको ही नहीं बल्कि दुनिया भर की सरकारें वैश्विक मोटापे की महामारी को काबू करने में संघर्ष कर रही हैं। उदाहरण के लिए अमेरिकी ट्रंप प्रशासन में स्वास्थ्य सचिव कैनेडी जूनियर ने भी अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड और जंक फूड को लक्षित करते हुए अमेरिका को फिर से स्वस्थ बनाने को लेकर अभियान चलाया हुआ है।