ढाका (राघव): बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के संगठन ‘बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई ओइक्या परिषद’ ने देश में हुई सांप्रदायिक हिंसा की संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में स्वतंत्र और निष्पक्ष कराए जाने की मांग की है। गुरुवार को संगठन के उपाध्यक्ष निर्मल रोजारियो ने कहा कि चार से 20 अगस्त के बीच देशभर के 76 जिलों और महानगरीय क्षेत्रों में से 68 में सांप्रदायिक हिंसा की कुल 2,010 घटनाएं हुईं, जिसके परिणामस्वरूप नौ लोगों की मौत हो गई। 69 पूजा स्थलों पर हमला कर तोड़फोड़, लूटपाट की गई। इन्हें आग के हवाले भी कर दिया गया।
उन्होंने परिषद के महासचिव राणा दासगुप्ता और अन्य नेताओं के खिलाफ झूठे मामलों को वापस लेने, चल रही सांप्रदायिक हिंसा को समाप्त करने और अपराधियों की गिरफ्तारी और सजा की भी मांग की। उन्होंने कहा कि मांगों को लेकर शनिवार को ढाका सहित पूरे देश में राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन होगा एवं रैलियां आयोजित की जाएंगी। शेख हसीना को पीएम पद से अपदस्थ करने वाले राजनीतिक उथल-पुथल के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा का विवरण देते हुए एक प्रेस कांफ्रेंस में निर्मल ने कहा कि अल्पसंख्यकों के कुछ व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को लूटा गया, तोड़फोड़ की गई और आग लगा दी गई। निर्मल ने कहा कि ये परिवार अब बहुत ही खराब स्थिति में रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि खुलना डिवीजन में सबसे ज्यादा हिंसा हुई, जहां चार महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया गया। कुछ अल्पसंख्यक परिवारों की जमीनों पर कब्जा कर लिया गया।