बगहा (राघव): पश्चिम चंपारण के बगहा-दो में भारत-नेपाल सीमा पर विवादित सुस्ता क्षेत्र में नेपाल पैठ जमा रहा है। भारत की बिना सहमति-समझौते के इस क्षेत्र में तेजी से निर्माण कार्य करा रहा है। पुल, सड़क, थाना भवन, स्कूल और पोखर निर्माण के बाद अब नेपाल सरकार बिजली की आपूर्ति के लिए काम कर रही है। नेपाल विद्युत प्राधिकरण की ओर से झूला पुल के सहारे पकलियहवा से सुस्ता तक तार डालकर रोशनी की तैयारी है।
एक करोड़, 30 लाख रुपये की लागत से एमडी राजा निर्माण सेवा की ओर से विद्युत लाइन का विस्तार किया जा रहा है। गंडक नदी में झूला पुल के निर्माण होने से सुस्ता क्षेत्र नेपाल से जुड़ गया है। नेपाल के बर्दघाट विद्युत प्राधिकरण के वितरण केंद्र के प्रमुख प्रशांत झा के अनुसार, सुस्ता गांव में नेपाल विद्युत प्राधिकरण की ओर से विद्युत प्रसारण लाइन का विस्तारीकरण लगभग पूरा कर लिया गया है।अभी तक सुस्ता में सौर मिनी ग्रिड परियोजना के तहत 4.80 करोड़ रुपये की लागत से सोलर प्रणाली लगाई गई थी। इससे सुस्ता में करीब 300 घरों में आपूर्ति होती थी, लेकिन नेपाल सरकार बिजली की स्थायी आपूर्ति कर अपनी पैठ मजबूत करने में जुटी है।
भारत तथा नेपाल के बीच सुस्ता विवाद 1965 से है। यह विवाद गंडक नदी की धारा में परिवर्तन होने से उत्पन्न हुआ है। नेपाल में नारायणी के नाम से बहने वाली गंडक नदी दोनों देशों की सीमा विभाजित करते हुए नो मेंस लैंड से होकर बहती है। विवादित सुस्ता गांव गंडक नदी के भारतीय क्षेत्र के किनारे बसा था, लेकिन कालांतर में नदी ने अपना रुख बदला और सुस्ता गांव को चपेट में लेते हुए भारतीय क्षेत्र से लगभग एक किलोमीटर अंदर की तरफ कटान करते हुए बहने लगी। वाल्मीकिनगर थाना क्षेत्र के रामपुरवा, ठाढ़ी, लक्ष्मीपुर, भेड़ियारी के लोग आज भी उक्त जमीन की रसीद कटाते हैं, लेकिन जमीन पर अधिकार नेपाल के नवलपरासी में बसे लोगों के हाथों में है। कई बार दोनों तरफ के लोगों के बीच झड़प भी हुई थी। कई बार समझौते भी हुए, लेकिन कोई सार्थक हल नहीं निकला।