नई दिल्ली (राघव): कोरोना वायरस का एक नया वेरिएंट यूरोप में तेजी से फैल रहा है। पहली बार इसकी पहचान इसी साल जून के महीने में जर्मनी में हुई थी और अब तक यह 13 से ज्यादा देशों में पहुंच चुका है। यह स्ट्रेन ओमिक्रॉन के दो सब-वैरिएंट्स – KS.1.1 और KP.3.3 का मिला हुआ रूप है। KS.1.1 एक FLiRT वैरिएंट है जो दुनिया भर में विभिन्न क्षेत्रों में कोविड के बढ़ते मामलों का जिम्मेदार माना जाता है। KP.3.3 FLuQE वेरिएंट का एक प्रकार है, जिसमें अमीनो एसिड ग्लूटामिन में ग्लूटामिक एसिड में म्यूटेट होता है। आसान भाषा में समझें, तो यह वायरस अपने पहले से मौजूद रूपों से थोड़ा बदला हुआ है और वैज्ञानिकों का मानना है कि यह शरीर की कोशिकाओं को काफी नुकसान पहुंचा सकता है और बीमारी के तेजी से फैलने का बड़ा कारण भी बन सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसने पुराने वेरिएंट FliRT स्ट्रेन को भी पीछे छोड़ दिया है।
XEC वैरिएंट ओमिक्रॉन वेरिएंट के दो सब-वैरिएंट्स, KS.1.1 और KP.3.3, का मिला हुआ रूप है। ये दोनों सब-वेरिएंट्स पहले से ही दुनिया भर में फैल रहे हैं, लेकिन उनके संयोजन ने एक नए वेरिएंट को जन्म दिया है जो ज्यादा संक्रामक और घातक साबित हो सकता है। XEC वेरिएंट के सामने आने के बाद यह और भी जरूरी हो गया है कि सभी लोग वैक्सीनेशन ड्राइव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें क्योंकि यह बीमारी से बचाव का एकमात्र तरीका है। इसके अलावा सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनना भी संक्रमण को फैलने से रोक सकता है। साथ ही, दूसरों से एक उचित दूरी बनाए रखना भी संक्रमण के जोखिम को कम करने में मददगार है। नियमित रूप से हाथ धोना या हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करके भी आप इस वायरस को फैलने से रोक सकते हैं।