मध्यप्रदेश विधानसभा में सोमवार को जब डिप्टी सीएम और वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने 2024-25 के लिए आय-व्यय का लेखानुदान, यानी अंतरिम बजट पेश किया, तो सबकी निगाहें उन पर थीं। यह बजट लगभग एक लाख 45 हजार करोड़ रुपए का था, जिसमें किसी नए टैक्स प्रस्ताव, खर्च की नई मद या योजना का उल्लेख नहीं था।
भारत रत्न पर चर्चा बनी तकरार का कारण
बजट पेश होने के बाद, चर्चा का विषय बना ‘भारत रत्न’ से जुड़ा एक विवाद। भाजपा के विजयवर्गीय ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने गुरु गोविंद सिंह और टंट्या मामा को लुटेरा कहा है। इस आरोप पर कांग्रेस सदस्यों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और विधानसभा से वॉकआउट कर गए।
यह घटना न केवल विधानसभा में तनाव का कारण बनी, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा का विषय बन गई। अंतरिम बजट के पेश होने के समय, जो सामान्यतः आर्थिक योजनाओं और नीतियों पर केंद्रित होता है, वह अचानक राजनीतिक उथल-पुथल में बदल गया।
इस विवाद ने न केवल राजनीतिक दलों के बीच, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों में भी विभाजन को गहरा दिया है। ‘भारत रत्न’ जैसे सम्मानित पुरस्कार को लेकर हुई इस तरह की बहस, सम्मान और आदर्शों के प्रति हमारे समाज की सोच को दर्शाती है।
अंत में, यह घटना यह भी दर्शाती है कि कैसे राजनीतिक मतभेद अक्सर व्यक्तिगत आरोपों और विवादों में बदल जाते हैं, जिससे सार्वजनिक मंचों पर चर्चा के स्तर में गिरावट आती है। यह विवाद राजनीतिक दलों के लिए एक सबक भी है कि कैसे उन्हें अपने मतभेदों को संवाद के माध्यम से हल करने की आवश्यकता है, बजाय इसके कि वे आपसी आरोप-प्रत्यारोप में उलझें।