इज़राइल में विगत माह से चल रही हमास के खिलाफ जंग के बीच, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के विरुद्ध जनता का गुस्सा सड़कों पर उतर आया है। रविवार को यरूशलेम में संसद भवन के बाहर हजारों लोगों का एकत्रित होना, सरकार विरोधी भावनाओं का प्रतीक है। लोगों ने सरकार से गाजा में हमास द्वारा बंधक बनाए गए लोगों की रिहाई और शीघ्र चुनाव की मांग की है।
इज़राइल में विभाजन
पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास आतंकियों द्वारा किए गए हमले ने न केवल 1200 लोगों की जान ली, बल्कि 250 से अधिक लोगों को बंधक बना लिया गया। इस घटना ने इज़राइली समाज में गहरे मतभेद उत्पन्न कर दिए हैं। एक सप्ताह के संघर्ष विराम के दौरान लगभग आधे बंधकों की रिहाई ने उम्मीद जगाई, परंतु समाधान अभी भी दूर है।
प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने हमास को समाप्त करने और सभी बंधकों को सुरक्षित घर वापसी का वचन दिया था। हालांकि, उनकी योजना अब तक पूरी नहीं हुई है, जिससे जनता में असंतोष और बढ़ गया है। युद्ध ने हमास को भारी क्षति पहुंचाई है, पर वह अभी भी सक्रिय है, और बंधकों के परिवार अपने प्रियजनों की सुरक्षित वापसी की आशा में हैं।
इस संघर्ष ने इज़राइली समाज को विभाजित कर दिया है, जिसमें एक ओर तो सरकार के कठोर कदमों का समर्थन है, तो दूसरी ओर शांति और समझौते की मांग। लोगों का मानना है कि युद्ध से अधिक क्षति और नुकसान हो रहा है, जबकि शांति प्रक्रिया से बेहतर समाधान संभव है।
इज़राइल में जारी इस अशांति और संघर्ष का समाधान खोजने की चुनौती सरकार के समक्ष है। जनता की मांगें और आक्रोश को देखते हुए सरकार को जल्द ही कोई ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। शांति की ओर बढ़ते कदम न केवल इज़राइली समाज को एकजुट करेंगे, बल्कि एक स्थायी समाधान की दिशा में भी अग्रसर होंगे।