पंजाब के दो नौजवान, जो बेहतर जिंदगी की तलाश में रूस गए थे, अब एक ऐसी स्थिति में फंस गए हैं जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी. इन युवकों को अब यूक्रेन के साथ युद्ध में भाग लेने के लिए जबरदस्ती भेजा जा रहा है, जो उनके और उनके परिवारों के लिए एक दुःस्वप्न साबित हो रहा है.
पंजाब से रूस का सफर
गुरदासपुर जिले के अवाखा और जांडेय गांव के रवनीत सिंह और विक्रम ने 11 लाख रुपए खर्च कर रूस की यात्रा की थी. उनके परिवारों को एजेंट ने आश्वासन दिया था कि उन्हें विदेश में अच्छी नौकरी मिलेगी. हालांकि, वहाँ पहुँचने पर, उनका सामना एक अलग ही वास्तविकता से हुआ.
रूसी पुलिस ने उन्हें घूमते समय पकड़ लिया और उन्हें सैन्य अधिकारियों को सौंप दिया गया. बिना किसी चेतावनी के, उन्हें रूसी सेना में भर्ती कर लिया गया और अब युद्ध की भयावहता का सामना करने के लिए उन्हें मजबूर किया जा रहा है.
मदद की गुहार
इन युवकों के परिजनों ने भारतीय सरकार से अपने बच्चों को सुरक्षित वापस लाने की गुहार लगाई है. उनका कहना है कि उनके बच्चे निर्दोष हैं और उन्हें धोखे से इस युद्ध में फंसाया गया है. परिवारों की चिंता और निराशा इस बात को लेकर है कि उनके बच्चे अनजाने में एक खतरनाक स्थिति में फंस गए हैं, जिसका उन्होंने कभी सपना भी नहीं देखा था.
इस घटना ने न केवल उन दो परिवारों को प्रभावित किया है, बल्कि पूरे पंजाब और भारत को भी झकझोर दिया है. यह मामला उन लोगों के लिए एक चेतावनी के रूप में सामने आया है जो बेहतर अवसरों की तलाश में विदेश जाने का सोच रहे हैं.
पंजाब से रूस और फिर युद्ध के मैदान तक का यह सफर न सिर्फ इन युवकों के लिए, बल्कि उनके परिवारों और देशवासियों के लिए भी एक दर्दनाक यात्रा बन गया है. अब सभी की निगाहें भारत सरकार पर हैं, जिससे उम्मीद की जा रही है कि वह इन युवकों को सुरक्षित वापस लाने के लिए हर संभव कदम उठाएगी.