पंजाब में लोकसभा चुनाव 2024 के दृष्टिकोण से भारतीय जनता पार्टी (BJP) द्वारा उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करने के बाद विवादों का माहौल गर्माता जा रहा है। शनिवार की रात, पार्टी ने 6 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया, जिसके बाद गुरदासपुर से पहले विरोध की आवाजें उठने लगीं। गुरदासपुर, जो कभी BJP का मजबूत गढ़ रहा है, वहां से विनोद खन्ना ने चार बार सांसद का चुनाव जीता था और अंतिम बार सनी देओल ने विजयी होकर पार्टी का मान बढ़ाया था।
पंजाब की सियासी चालें
वर्ष 2019 की जीत के बाद, सनी देओल की अनुपस्थिति ने स्थानीय जनता के मन में नाराजगी की भावना को जन्म दिया। BJP ने इस नाराजगी को शांत करने के लिए गुरदासपुर में पैराशूट उम्मीदवारों को उतारने के बजाय, स्थानीय नेता और पूर्व विधायक दिनेश बब्बू को चुनावी मैदान में उतारने का निर्णय लिया।
इस निर्णय के विपरीत, पार्टी के वरिष्ठ नेता और व्यवसायी स्वर्ण सलारिया ने चुनाव लड़ने की घोषणा की है। इसके अलावा, पूर्व सांसद और स्वर्गीय विनोद खन्ना की पत्नी, कवीता खन्ना ने भी चुनावी अखाड़े में कूदने की अपनी इच्छा जाहिर की है।
भाजपा की पहली सूची के विरोध में उठे ये कदम न केवल पार्टी के आंतरिक विभाजन को दर्शाते हैं बल्कि यह भी संकेत देते हैं कि लोकसभा चुनाव 2024 की ओर बढ़ते हुए पार्टी के सामने एकजुटता और नेतृत्व की चुनौतियाँ अधिक गंभीर हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह विरोध पंजाब में BJP की चुनावी रणनीति और स्थानीय स्तर पर उसके प्रभाव को प्रभावित कर सकता है।
चुनावी मौसम में यह विवाद सिर्फ एक पार्टी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राजनीतिक दलों के भीतर उम्मीदवारों के चयन और स्थानीय नेताओं की उपेक्षा की व्यापक समस्या को उजागर करता है। पंजाब की राजनीतिक गलियारों में इस विरोध की प्रतिध्वनि सुनाई दे रही है, जिससे आने वाले दिनों में और अधिक राजनीतिक ड्रामा की संभावना बनती जा रही है।