लोकसभा चुनाव के पहले चरण के नामांकन की अंतिम तारीख के मद्देनजर, महागठबंधन में सीटों की शेयरिंग को लेकर आज भी अनिश्चितता का माहौल है। दिल्ली में बुधवार तक चले आरजेडी और कांग्रेस के बीच की बैठकें अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं ला पाई हैं। गुरुवार को पटना में इसके ऐलान की संभावना जताई जा रही है, परंतु अब तक किसी भी पक्ष से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
महागठबंधन में सीट शेयरिंग की चुनौती
महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर चल रही विवाद की स्थिति ने राजनीतिक गलियारों में खासी चर्चा को जन्म दिया है। लालू प्रसाद द्वारा पहले ही 12 सीटों पर सिंबल बांटे जाने की खबर ने कांग्रेस को अपनी ‘औकात’ पर विचार करने के लिए मजबूर किया है। इसके अलावा, गिरिराज सिंह का तंज भी महागठबंधन के लिए चिंता का विषय बन गया है।
लोकसभा चुनाव में अभी तक महागठबंधन की ओर से सीट शेयरिंग और कैंडिडेट्स के नामों का ऐलान न होना उनके लिए बड़ी चुनौती पेश कर रहा है। आज गुरुवार को इसके ऐलान की पूरी संभावना है, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई स्पष्टता नहीं है।
सीट शेयरिंग के अंतिम निर्णय की प्रतीक्षा में, माले को चार सीटें मिलने की संभावना जताई जा रही है। इसमें आरा से सुदामा प्रसाद, काराकाट से राजाराम सिंह, नालंदा से संदीप सौरभ या महानंद सिंह और सीवान से अमरनाथ यादव के चुनाव लड़ने की संभावना है। इस बीच, गठबंधन के अन्य सदस्यों के बीच भी सीटों के वितरण को लेकर बातचीत जारी है।
महागठबंधन के भीतर जारी इस अनिश्चितता और देरी ने विपक्षी खेमे को उन पर तंज कसने का मौका दिया है। इस संदर्भ में, गिरिराज सिंह के व्यंग्यात्मक बयान ने इस विवाद को और भी गहरा दिया है। ऐसे में, महागठबंधन के सदस्यों के लिए एकजुटता और समन्वय की दिशा में तत्परता दिखाना अत्यंत आवश्यक हो गया है।
समय की तंगी और अनिश्चितता के बावजूद, महागठबंधन के लिए यह समय सावधानी और चतुराई से निर्णय लेने का है। उनके निर्णयों का प्रभाव न सिर्फ आगामी चुनावों पर पड़ेगा, बल्कि यह उनकी आपसी एकता और सामंजस्य की परीक्षा भी होगी।