मध्य प्रदेश में अपने चुनावी दौरे के दौरान, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को शहडोल से उमरिया जाते समय एक अनूठा अनुभव किया। वे आदिवासी महिलाओं को महुआ बीनते हुए देखकर उनके काफिले को रोक लिया और उनसे मुलाकात की। राहुल ने न सिर्फ महुआ बीनने में हाथ बटाया बल्कि उसे चखकर देखा भी और अपनी प्रतिक्रिया में कहा, “नॉट बैड।”
महुआ: एक सांस्कृतिक संपर्क
इस दौरान, राहुल ने आदिवासी महिलाओं से इस फसल की खेती और इसके महत्व के बारे में जानकारी प्राप्त की। उन्होंने महुआ के विभिन्न उपयोगों और इसके सामाजिक-आर्थिक महत्व को समझा। राहुल गांधी का यह अनुभव न केवल उन्हें आदिवासी समुदाय के नजदीक लाया बल्कि उन्हें उनकी पारंपरिक जीवन शैली की एक झलक भी प्रदान की।
राहुल का यह दौरा सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बना। उन्होंने शहडोल दौरे का एक वीडियो इंस्टाग्राम पर साझा किया, जिसमें उनकी इस अनूठी मुलाकात की झलकियां देखी जा सकती हैं। इस वीडियो के साथ, उन्होंने लिखा, “आज की शाम शहडोल के नाम।” इससे उनके इस दौरे की गर्मजोशी और आत्मीयता का पता चलता है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इस दौरे के बारे में बताया कि खराब मौसम के कारण हेलिकॉप्टर के लिए फ्यूल समय पर नहीं पहुंच पाया, जिसके कारण राहुल को रात शहडोल में गुजारनी पड़ी। इस अनपेक्षित परिवर्तन ने उन्हें इस अनोखे अनुभव के लिए समय दिया।
राहुल गांधी का यह दौरा न केवल उन्हें लोगों से जोड़ता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि वे वास्तविक भारत, इसके लोगों और उनकी संस्कृति को समझने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस तरह के अनुभव नेताओं और नागरिकों के बीच की खाई को पाटने में मदद करते हैं और एक समावेशी भारत की दिशा में एक कदम हैं।