रामपुर (नेहा):दुष्कर्म के मामले में जिले की पॉक्सो एक्ट कोर्ट ने त्वरित सुनवाई करते हुए मात्र 12 तारीखों पर फैसला सुना दिया। दोषी को 20 साल के कारावास की सजा सुनाई। इस मामले में पुलिस ने भी सक्रियता दिखाते समय दो सप्ताह में आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिया था। इस तरह घटना के 45 दिन में फैसला पुलिस और अदालतों के लिए नजीर बन गया। साथ ही भारतीय न्याय संहिता की गंभीर धारा में सजा का यह जिले में पहला मुकदमा भी बन गया है।
दुष्कर्म की घटना बिलासपुर कोतवाली क्षेत्र में चल रही एक फैक्ट्री के श्रमिक की है। श्रमिक अपनी पत्नी और दो नाबालिग बेटियों के साथ फैक्ट्री की ही कॉलोनी में बने मकान में रहते थे। सात अगस्त को उनकी छह वर्षीय बेटी ऊपरी तल पर बने मकानों की गैलरी में खेल रही थी। वहां रहने वाले हरदोई जिले के थाना टंडियाबा के गांव भडायल निवासी अश्वनी ने उनकी बेटी को अपने कमरे में बुलाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। बेटी के चीखने चिल्लाने की आवाज सुनकर श्रमिक और उसकी पत्नी वहां पहुंचे तो उनकी बेटी रो रही थी। उसके खून बह रहा था। दोनों को देख अश्वनी वहां से भाग गया था। वह बेटी को लेकर रुद्रपुर, हल्द्वानी आदि कई अस्पतालों में लेकर भागे। तब बेटी की जान बच सकी।
श्रमिक की तहरीर पर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर युवक को गिरफ्तार कर लिया था। बिलासपुर कोतवाली पुलिस ने मुकदमे की विवेचना 14 दिन में पूरी कर आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत कर दिए थे। न्यायालय ने आरोप पत्र पर 21 अगस्त को संज्ञान लिया और 27 अगस्त को आरोप तय कर दिए। आरोपों से इनकार करने पर युवक के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई चली। न्यायालय ने लगातार सुनवाई की। 12 तारीखों में आठ लोगों की गवाही कराई गई।
विशेष लोक अभियोजक सुमित शर्मा का कहना था कि युवक ने बच्ची के साथ दरिंदगी की है। इससे बच्ची की हालत अब तक ठीक नहीं हो सकी है। वह सदमे में है। तीन अस्पतालों में उसका इलाज चला है। उन्होंने युवक को कड़ी सजा दिए जाने की मांग की। न्यायालय विशेष न्यायाधीश (पोक्सो एक्ट) रामगोपाल सिंह ने शनिवार को इस मामले में अश्वनि को दोषी मानते हुए 20 साल कारावास और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना जमा होने पर समस्त धनराशि प्रतिकर के रूप में पीड़ित को दिए जाने के आदेश दिए हैं।