नई दिल्ली (राघव): रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि वह गोल्ड लोन के लिए नई गाइडलाइंस पेश करेगा। आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 9 अप्रैल को मॉनेटरी पॉलिसी पेश करते वक्त यह कहा। इसका सीधा असर गोल्ड लोन कंपनियों के स्टॉक्स पर पड़ा। इन कंपनियों के शेयर 10 फीसदी तक गिर गए। गोल्ड लोन ग्राहक भी केंद्रीय बैंक के इस ऐलान से थोड़े चिंतित हैं। सवाल है कि क्या आरबीआई के गोल्ड लोन के नियमों में बदलाव करने से ग्राहकों के लिए गोल्ड लेना मुश्किल हो जाएगा? क्या नियमों में बदलाव से गोल्ड लोन कंपनियां और बैंक ग्राहकों को गोल्ड लोन देने में आनाकानी करेंगे?
RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि गोल्ड लोन के नियमों पर केंद्रीय बैंक फिर से विचार करेगा। इसका मकसद गोल्ड लोन के मौजूदा नियमों की खामियां दूर करना है। दरअसल, केंद्रीय बैंक ने गोल्ड लोन के नियमों में कई तरह की कमियां पाई हैं। वह उन कमियों को दूर करना चाहता है। आरबीआई के नए नियमों से ग्राहकों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी। उन्हें पहले की तरह गोल्ड लोन मिलता रहेगा। यह भी हो सकता है कि नियमों में बदलाव के बाद बैंक और गोल्ड लोन कंपनियों की दिलचस्पी गोल्ड लोन में बढ़ जाए।
ध्यान देने वाली बात है यह कि आरबीआई गोल्ड लोन के नियमों का ड्राफ्ट पहले पेश करेगा। वह इस पर आम लोगों और एक्सपर्ट्स की राय मांगेगा। राय मिलने के बाद केंद्रीय बैंक उस पर विचार करेगा। फिर वह नए नियम पेश करेगा, जिसका पालन बैंकों और गोल्ड लोन देने वाली कंपनियों को करना होगा। इसका मतलब है कि इस प्रक्रिया में समय लगेगा। अगर ग्राहकों को ऐसा लगता है कि गोल्ड लोन के नियम कल से बदल जाएंगे तो ऐसा नहीं है।
आरबीआई को नए नियम बनाने की जरूरत क्या है?
अभी गोल्ड लोन के नियम एक समान नहीं हैं। बैंकों और गोल्ड लोन कंपनियों को एक ही तरह के प्रोडक्ट पर अलग-अलग नियमों का पालन करना पड़ता है। आरबीआई चाहता है कि सभी रेगुलेटेड एंटिटीज के लिए एक जैसे नियम होने चाहिए। केंद्रीय बैंक नए नियमों में इस फर्क को खत्म कर देगा। दरअसल आरबीआई को गोल्ड लोन देने में कई तरह की गड़बड़ियों का पता चला था। गोल्ड लोन देने में बैंक और गोल्ड लोन कंपनियां जल्दबाजी करती हैं। वे ड्यू डिलिजेंस यानी ग्राहक के बैकग्राउंड जानने पर ज्यादा ध्यान नहीं देती हैं।