नई दिल्ली (किरण): रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार दसवीं पर रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया। यह 6.5 फीसदी पर बरकरार रही। इसका मतलब है कि आपकी EMI पहले की ही तरह रहेगी। उसमें कोई कमी-बेसी नहीं होगी। फरवरी, 2023 से रेपो दर को 6.5 फीसदी पर जस का तस रखा है। हालांकि, आरबीआई ने अपने रुख में बदलाव करते हुए उसे न्यूट्रल कर दिया। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की तीन दिवसीय मीटिंग का आगाज (7 अक्टूबर) को शुरू हुआ था। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दी। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बेंचमार्क दर में 50 आधार अंकों की कटौती के बाद आरबीआई ने रेपो रेट पर पहली नीति घोषणा है।
दास ने GDP ग्रोथ के अनुमान से जुड़े डेटा भी शेयर किए। वित्त वर्ष 2024-25 में हमारी इकोनॉमी 7.2 फीसदी की रफ्तार से बढ़ सकती है। आरबीआई के मुताबिक, दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 7.0 फीसदी, तीसरी तिमाही में 7.4 फीसदी, चौथी तिमाही में 7.4 फीसदी और वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में 7.3 फीसदी रह सकती है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास का कहना है कि केंद्रीय बैंक का फोकस महंगाई घटाने पर बना रहेगा। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग में मौजूदा वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति के 4.5 फीसदी रहने के अनुमान को भी बरकरार रखा गया है। पहली तिमाही में 8 प्रमुख उद्योगों का उत्पादन 1.8 फीसदी घटा है। उम्मीद से अधिक बारिश ने बिजली, कोयला और सीमेंट जैसे कुछ इंडस्ट्री को प्रभावित किया है। हालांकि, सरकारी खपत में सुधार हो रहा है।
रिजर्व बैंक जिस दर पर अन्य बैंकों को कर्ज देता है, वो रेपो रेट होती है। इसका सीधा असर लोन की ब्याज दर पर पड़ता है। अगर रेपो रेट में कमी होती है, तो इसका मतलब कि बैंकों को कर्ज सस्ता मिलेगा, तो वे ग्राहकों को भी लोन भी कम ब्याज दर देंगे। लेकिन, रेपो रेट में इजाफे की सूरत में वे ब्याज दरों को बढ़ा देते हैं। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने एमपीसी के निर्णयों की घोषणा करते हुए कहा कि मुद्रास्फीति में नरमी धीमी और असमान बनी रहेगी।