मॉस्को (राघव): रूस ने दक्षिणी यूक्रेन के जापोरिज्जिया शहर पर मिसाइलें दागी जिसमें 13 लोगों की मौत हो गई जबकि 30 अन्य घायल हो गए। यह हमला बुधवार को हुआ और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने इसे नागरिक क्षेत्रों पर किए गए एक और क्रूर हवाई हमले के रूप में बताया। आपातकालीन सेवाएं मौके पर पहुंची जेलेंस्की ने कहा कि इस हमले के दौरान कई लोग मलबे के नीचे दब गए थे और उन्हें बचाने के लिए आपातकालीन सेवाएं मौके पर पहुंची। उन्होंने अपने टेलीग्राम चैनल पर एक पोस्ट की जिसमें नागरिक मलबे से भरी सड़कों पर पड़े हुए दिखाई दे रहे थे। राष्ट्रपति ने इसे नागरिकों पर किए गए हवाई हमलों की क्रूरता का उदाहरण बताया।
जापोरिज्जिया क्षेत्र के गवर्नर इवान फेडोरोव ने कहा कि हमले से कुछ मिनट पहले ही उन्होंने विनाशकारी ग्लाइड बम और मिसाइल हमलों की चेतावनी दी थी। दोपहर में रूसी सैनिकों ने जापोरिज्जिया में ग्लाइड बम गिराना शुरू कर दिया और इनमें से कम से कम दो बम शहर की आवासीय इमारतों पर गिरे। फेडोरोव ने घोषणा की कि गुरुवार को इस क्षेत्र में शोक का दिन होगा। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि नागरिकों पर हवाई हमले करना सबसे क्रूर अपराध है। उन्होंने कहा कि यह बेहद जरूरी है कि दुनिया के बाकी देश यूक्रेन को सुरक्षा देने के लिए आगे आएं और इस संघर्ष में यूक्रेन का समर्थन करें।
इससे पहले यूक्रेनी जनरल स्टाफ ने बताया कि रूस के सारातोव क्षेत्र के एंगेल्स में एक भंडारण सुविधा पर ड्रोन हमला हुआ था। इस हमले में कोई हताहत नहीं हुआ लेकिन ड्रोन के मलबे से एक औद्योगिक संयंत्र में आग लग गई। क्षेत्र के गवर्नर रोमन बुसार्गिन ने कहा कि यह नुकसान मलबे के कारण हुआ था लेकिन इसमें कोई मौत या घायल नहीं हुआ। एंगेल्स जो वोल्गा नदी के बाएं किनारे पर स्थित है रूस के परमाणु-सक्षम बमवर्षकों का मुख्य अड्डा भी है। युद्ध के शुरुआती दौर से ही यूक्रेनी ड्रोन हमले इस क्षेत्र को निशाना बना रहे हैं जिससे रूस की सेना को अपने अधिकांश बमवर्षकों को दूसरे स्थानों पर स्थानांतरित करना पड़ा है। एंगेल्स का यह औद्योगिक क्षेत्र रूस के सैन्य संचालन के लिए महत्वपूर्ण है। अंत में बता दें कि जापोरिज्जिया और एंगेल्स में हुए हमले ने यूक्रेन और रूस के बीच जारी संघर्ष की एक और क्रूर तस्वीर पेश की है। इस हमले ने न केवल नागरिकों की जान ली बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा को भी खतरे में डाल दिया है। दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थितियों में और भी वृद्धि हो सकती है जिससे आम नागरिकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठते हैं।