नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आगामी मंगलवार को हिमाचल प्रदेश के छह बागी कांग्रेस विधायकों द्वारा उनके निष्कासन के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई निर्धारित की है। इन विधायकों ने हाल ही में हुए राज्यसभा चुनावों में क्रॉस-वोटिंग की थी।
विवाद की जड़
हिमाचल प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष, कुलदीप सिंह पठानिया, ने कांग्रेस की याचिका पर “पार्टी व्हिप की अवहेलना” करने के लिए इन छह विधायकों को अयोग्य घोषित किया था। पार्टी व्हिप ने उन्हें सदन में उपस्थित रहने और बजट के लिए मतदान करने की आवश्यकता थी।
न्यायिक प्रक्रिया
जस्टिस संजीव खन्ना, दीपांकर दत्ता और प्रशांत कुमार मिश्रा की एक पीठ 12 मार्च को वक्ता के 29 फरवरी के निर्णय के खिलाफ याचिका पर विचार करेगी।
अदालत की भूमिका
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई से राजनीतिक दलों के भीतर अनुशासन और विधायकों के अधिकारों को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय की उम्मीद है। इससे विधानसभा में पार्टी व्हिप के पालन के नियमों पर भी प्रकाश डाला जाएगा।
निष्कासन के निहितार्थ
इन विधायकों का निष्कासन न केवल हिमाचल प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा मोड़ है, बल्कि यह दलबदल निरोधक कानून के तहत विधायकों के अधिकारों और सीमाओं को भी रेखांकित करता है।
आगे की राह
सुप्रीम कोर्ट का फैसला न केवल इन छह विधायकों के भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि यह भविष्य में अन्य विधायकों द्वारा पार्टी लाइनों के पार जाने के मामलों पर भी प्रभाव डालेगा। इस निर्णय से राजनीतिक दलों के भीतर अनुशासन और सदस्यों की आजादी के बीच संतुलन बनाने की चुनौती को भी सामने लाया जाएगा।