नई दिल्ली (राघव): स्मॉल और मिड कैप स्टॉक में लगातार बड़ी गिरावट से निवेशक परेशान हैं। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वो अब करें तो क्या करें? इस पर अब पूंजी बाजार नियामक यानी सेबी प्रमुख का बयान आया हे। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने कहा कि पूंजी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) को हाल ही में स्मॉल और मिड कैप स्टॉक में आई भारी गिरावट पर टिप्पणी करने की ‘कोई जरूरत नहीं’ है। बुच ने पिछले साल मार्च में उन्हीं शेयरों के हाई वैल्यूएशन पर दिए गए अपने बयान का हवाला देते हुए कहा कि सेबी ने ऊंचे मूल्यांकन पर अपनी चिंता तब जाहिर की थी, जब उसे इसकी जरूरत महसूस हुई थी।
यहां एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के एक कार्यक्रम में बुच ने कहा, मिड कैप और स्मॉल कैप के बारे में, मुझे लगता है कि एक समय ऐसा आया जब नियामक को इस बारे में बयान देने की जरूरत महसूस हुई, बयान दिया गया। आज, नियामक को अतिरिक्त बयान देने की कोई जरूरत महसूस नहीं होती।” हाल ही में छोटी और मझोली कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखी गई है, कुछ शेयरों में एक के बाद एक 20 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। मार्च, 2024 में नियामक की ओर से एक टिप्पणी में, बुच ने उच्च मूल्यांकन पर चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने कहा था, “बाजार में झाग के ढेर हैं। कुछ लोग इसे बुलबुला कहते हैं, कुछ इसे झाग कहते हैं। उस झाग को बनने देना शायद उचित नहीं है।” इस बीच, बुच ने यह भी कहा कि नियामक का म्यूचुअल फंड के लिए हाल ही में शुरू की गई 250 रुपये की व्यवस्थित निवेश योजना (एसआईपी) को अनिवार्य बनाने का कोई इरादा नहीं है। जब उनसे एक म्यूचुअल फंड वितरक द्वारा किसी विशेष योजना पर भारी प्रोत्साहन देने के बारे में पूछा गया तो बुच ने कहा कि नियामक ऐसी किसी योजना में हस्तक्षेप करने का इच्छुक नहीं है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि सुनिश्चित रिटर्न जैसे किसी भी पहलू पर कार्रवाई की जाएगी।