नई दिल्ली (राघव): भारतीय शेयर बाजार में बुधवार, 26 मार्च को जबरदस्त गिरावट देखने को मिली। लगातार सात सत्रों की तेजी के बाद Sensex ने 700 अंकों से ज्यादा की गिरावट दर्ज की। कारोबार के अंत में Sensex 729 अंकों की गिरावट के साथ 77,288.50 पर बंद हुआ, जबकि Nifty 50 में 182 अंकों की गिरावट आई और यह 23,486.85 के स्तर पर बंद हुआ। सिर्फ Sensex और Nifty 50 ही नहीं, बल्कि स्मॉलकैप और मिडकैप इंडेक्स में भी भारी गिरावट देखी गई। BSE स्मॉलकैप इंडेक्स 1.45% गिरा, जबकि मिडकैप इंडेक्स 0.67% गिरावट के साथ बंद हुआ।
शेयर बाजार में इस बिकवाली का सीधा असर निवेशकों की संपत्ति पर पड़ा। BSE पर लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप 415 लाख करोड़ से गिरकर 411 लाख करोड़ रह गया, यानी निवेशकों को एक ही दिन में 4 लाख करोड़ का नुकसान हुआ। बाजार में इस बिकवाली का सबसे ज्यादा असर बैंकिंग, मीडिया और रियल एस्टेट सेक्टर पर पड़ा। Nifty Bank 0.77% गिरा, PSU बैंक 1.19% और प्राइवेट बैंक 0.90% कमजोर हुए। वहीं, Nifty मीडिया इंडेक्स 2.40% लुढ़ककर टॉप लूजर बना। रियल्टी, हेल्थकेयर और ऑयल एंड गैस सूचकांकों में एक-एक प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी को लेकर अनिश्चितता बढ़ गई है। 2 अप्रैल की समय सीमा नजदीक है और यह साफ नहीं है कि ट्रंप किन सेक्टरों पर नए टैरिफ लगाएंगे। इस वजह से IT और फार्मा सेक्टर में बिकवाली देखी गई। चीन के शेयर बाजार में सुधार और वहां के आकर्षक वैल्यूएशन की वजह से विदेशी निवेशकों का रुझान भारतीय बाजार से हट सकता है। ‘Buy China, Sell India’ ट्रेंड को लेकर बाजार में चिंता बनी हुई है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था अभी भी चीन की तुलना में मजबूत स्थिति में है।
कमाई के आंकड़ों से पहले निवेशकों में सतर्कता- Q4FY25 के नतीजों की शुरुआत से पहले निवेशक सतर्क हो गए हैं। बैंकिंग और IT सेक्टर से जुड़ी कंपनियों के नतीजे बाजार की दिशा तय कर सकते हैं। अगर इन सेक्टर्स के नतीजे उम्मीद से खराब रहे, तो अगले कुछ दिनों में बाजार में और गिरावट देखी जा सकती है। मासिक एक्सपायरी से पहले बाजार में अस्थिरता- गुरुवार को होने वाली मासिक डेरिवेटिव्स एक्सपायरी के कारण बाजार में अस्थिरता बनी हुई है। लक्षमिश्री इन्वेस्टमेंट एंड सिक्योरिटीज के रिसर्च हेड अंशुल जैन के अनुसार, हाल ही में आई तेजी के बाद, कई ट्रेडर्स ने अपनी पोजीशन को स्क्वायर ऑफ (बंद) करना शुरू कर दिया है, जिससे ऊंचे स्तरों पर बिकवाली देखने को मिल रही है।
इस बीच, NSE (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) ने 4 मार्च को घोषणा की कि 4 अप्रैल से सभी Nifty इंडेक्स के साप्ताहिक डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स अब गुरुवार के बजाय सोमवार को एक्सपायर होंगे। इससे बाजार में ट्रेडिंग पैटर्न में बदलाव देखने को मिल सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय शेयर बाजार में लॉन्ग-टर्म में कोई बड़ी चिंता नहीं है, लेकिन अल्पकालिक अस्थिरता बनी रह सकती है।
इस डाउनग्रेड के असर से बुधवार को Zomato का शेयर 5.1% गिरकर ₹199.80 पर पहुंच गया, जबकि Swiggy के शेयर 3.4% गिरकर ₹326 पर आ गए। निवेशकों के लिए यह बड़ा झटका था, क्योंकि इन कंपनियों के शेयर पहले ही गिरावट के दौर से गुजर रहे थे। इससे एक दिन पहले Macquarie ब्रोकरेज फर्म ने भी इन कंपनियों के भविष्य को लेकर सावधानी बरतने की सलाह दी थी। Macquarie का मानना है कि Devyani International और Westlife Foodworld जैसी कंपनियां बेहतर स्थिति में हैं, क्योंकि उपभोक्ता खर्च में बढ़ोतरी से इन्हें ज्यादा फायदा मिलेगा।
Zomato और Swiggy पहले से ही डार्क स्टोर्स (Dark Stores) के बढ़ते कॉम्पिटिशन और महंगी वैल्यूएशन की वजह से दबाव में हैं। दिसंबर से अब तक इनके शेयर लगातार गिरते आ रहे हैं। अब इन कंपनियों को नए कॉम्पिटीटर्स से भी कड़ी टक्कर मिल सकती है। BigBasket अगले 18-24 महीनों में IPO लाने की तैयारी कर रही है, जबकि Zepto भी $250 मिलियन की फंडिंग जुटाकर अपने IPO की ओर बढ़ रही है। इससे Zomato और Swiggy के बाजार हिस्सेदारी पर और असर पड़ सकता है।