अंबाला (नेहा): हरियाणा-पंजाब शंभू बॉर्डर सील हुए आठ माह पूरे हो गए हैं, लेकिन अभी भी स्थिति जस की तस है। करीब आधा किलोमीटर का बॉर्डर सील होने से अब तक अरबों रुपयों का नुकसान हो चुका है और रोजाना लोगों को मौत के कच्चे रास्तों से आवाजाही करनी पड़ रही है। किसान दिल्ली कूच का इरादा नहीं बदल रहे और हरियाणा सरकार ट्रैक्टर-ट्रालियों पर दिल्ली जाने की इजाजत नहीं दे रही। मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा और बातचीत भी हुई, लेकिन रास्ता नहीं खुला। किसान अब भी दिल्ली जाने के लिए अड़े हैं। ट्रैक्टर ट्रालियों को आशियाना बनाकर डेरा डाले हुए हैं। सुबह 11 बजे से 2 बजे तक रोजाना बैठक भी होती है। इसके बाद पंजाब की ओर का इलाका दूर-दूर तक खाली नजर आता है, जबकि महज ट्रैक्टर ट्रालियां और उसमें लोग दिखते हैं।
बॉर्डर बंद होने से अंबाला शहर का कपड़ा उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। हरियाणा और पंजाब में अन्य कारोबार पर भी असर पड़ रहा है। करीब सात सौ करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। रोडवेज को भी रोजाना एक लाख की चपत लग रही है। शंभू बॉर्डर सील होने से वाहनों आवाजाही पूरी तरह से बंद है। करीब 60 हजार वाहन चालकों को रास्ता बदलकर लंबे रूट से जाना पड़ रहा है। डीजल और पेट्रोल की खपत भी बढ़ गई है। नेशनल हाईवे अथारिटी को भी करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।
कानून व्यवस्था न बिगड़ जाए इसलिए हरियाणा सरकार ने केंद्र से आग्रह कर कंपनियां मंगवाई थीं। सूत्रों का कहना है कि चार कंपनियां बॉर्डर पर डटी हैं। हरियाणा पुलिस के भी जवान तैनात हैं। पांच माह से इन सभी कर्मचारियों को सिर्फ बॉर्डर पर पहरेदारी का वेतन और टीए व डीए देना मजबूरी बना हुआ है। फोर्स के खानपान और अन्य व्यवस्थाओं को लेकर भी इंतजाम करने पड़ रहे हैं। शंभू बॉर्डर से आवाजाही बंद होने के कारण ट्रांसपोर्ट सिस्टम भी प्रभावित हुआ। पंजाब से जो सामान आता है या फिर अंबाला से जो सामान पंजाब भेजा जाता है, उनका लॉजिस्टिक (किराया) बढ़ाया गया। इसका असर सामान पर भी पड़ा, जिसकी कीमतें बढ़ीं।