पुणे: महाराष्ट्र के सांगली जिले के छोटे शहर मिरज, जो संगीत वाद्ययंत्र बनाने में अपनी उत्कृष्ट कारीगरी के लिए जाना जाता है, उसके सितार और तानपुरा को प्रतिष्ठित भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग प्रदान किया गया है।
इस शहर में बने ये वाद्ययंत्र क्लासिकल संगीत के क्षेत्र में प्रसिद्ध कलाकारों सहित फिल्म उद्योग में भी कुछ प्रमुख कलाकारों के बीच काफी मांग में हैं, निर्माताओं का दावा है।
जीआई टैग यह संकेत देता है कि उत्पाद एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र से आता है, और अक्सर इसकी वाणिज्यिक मूल्य को बढ़ाता है।
सितार
मिरज के सितार और तानपुरा, जिन्हें हाल ही में जीआई टैग प्राप्त हुआ है, उन्हें उनकी विशेषताओं और विशिष्ट ध्वनि क्वालिटी के लिए चुना गया है। ये वाद्ययंत्र न केवल भारतीय क्लासिकल संगीतकारों के बीच बल्कि अंतरराष्ट्रीय कलाकारों के बीच भी प्रसिद्ध हैं।
मिरज में बनाए जाने वाले सितार और तानपुरा का उत्पादन पीढ़ी-दर-पीढ़ी कारीगरों द्वारा किया जाता है, जो इन वाद्ययंत्रों को बनाने के लिए परंपरागत तकनीकों और विशेषज्ञता का उपयोग करते हैं।
इस प्रकार के जीआई टैग से न केवल मिरज के वाद्ययंत्रों की पहचान स्थापित होती है बल्कि इससे इन वाद्ययंत्रों की वैश्विक पहुंच और विपणन क्षमता में भी वृद्धि होती है।
जीआई टैग प्राप्त करना मिरज के वाद्ययंत्र निर्माताओं के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो उन्हें विश्व बाजार में अपने उत्पादों की प्रामाणिकता और मूल्य को साबित करने में मदद करेगा।
इस उपलब्धि के साथ, मिरज के सितार और तानपुरा न केवल भारतीय संगीत की परंपरा को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करेंगे बल्कि इसे और अधिक लोगों तक पहुँचाने में भी मदद करेंगे।