कोलकाता (राघव): भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि जजों की तुलना भगवान से करने की परंपरा खतरनाक है, क्योंकि जजों की जिम्मेदारी आम लोगों के हित में काम करने की है। कोलकाता में नेशनल ज्यूडिशियल एकेडमी के क्षेत्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “अक्सर हमें आनर या लार्डशिप या लेडीशिप कहकर संबोधित किया जाता है। लोग जब कहते हैं कि अदालत न्याय का मंदिर है तो यह बहुत बड़ा खतरा लगता है क्योंकि ऐसे में हम खुद को उस न्याय के मंदिर का भगवान मान लेते हैं।
सीजेआई ने कहा कि जब उनसे कहा जाता है कि अदालत न्याय का मंदिर होता है तो वह कुछ बोल नहीं पाते हैं, क्योंकि मंदिर का मतलब है कि जज भगवान की जगह हैं। बल्कि मैं कहना चाहूंगा कि जजों का काम लोगों की सेवा करना है। उन्होंने कहा कि जब आप खुद को ऐसे व्यक्ति के रूप में देखेंगे जिनका काम लोगों की सेवा करना है तो आपके अंदर दूसरे के प्रति संवेदना और पूर्वाग्रह मुक्त न्याय करने का भाव पैदा होगा।
उनके अनुसार, आम लोगों द्वारा फैसले तक पहुंच और इसे समझने में भाषा सबसे बड़ी बाधा है। टेक्नोलाजी कुछ चीजों का समाधान प्रदान कर सकता है। ज्यादातर फैसले अंग्रेजी में लिखे जाते हैं। टेक्नोलाजी ने हमें उनका अनुवाद करने में सक्षम बनाया है। हम 51,000 फैसलों का दूसरी भाषाओं में अनुवाद कर रहे हैं। सम्मेलन में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम भी मौजूद थे।