राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में हैदराबाद में आयोजित एक कार्यक्रम में आरक्षण के समर्थन में अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ ने कभी भी आरक्षण के विरोध में आवाज नहीं उठाई है और यह कि आरक्षण समाज की जरूरत के अनुसार जारी रहना चाहिए।
आरक्षण: एक सामाजिक आवश्यकता
भागवत ने यह भी बताया कि वायरल हो रहे एक वीडियो के माध्यम से यह झूठ फैलाया जा रहा था कि RSS आरक्षण के खिलाफ है, जो कि पूर्ण रूप से असत्य है। उन्होंने जोर दिया कि संघ संविधान के अनुसार आरक्षण का समर्थन करता है और यह उनके सिद्धांतों में शामिल है।
भागवत के अनुसार, आरक्षण उन वर्गों के लिए एक माध्यम है जिन्हें समाज में प्रतिनिधित्व की कमी है। वे मानते हैं कि जब तक समाज में भेदभाव का अस्तित्व है, तब तक आरक्षण की आवश्यकता होगी। इसके माध्यम से उन वर्गों को समान अवसर प्रदान किए जा सकते हैं जो ऐतिहासिक रूप से वंचित रहे हैं।
राजनीतिक दलों का रुख
इस संदर्भ में भागवत ने भाजपा और कांग्रेस के बीच चल रहे आरक्षण संबंधी बयानबाजी का भी जिक्र किया। उनका कहना है कि भाजपा आरक्षण को लेकर कांग्रेस से कोई समझौता नहीं करेगी और यह कि आरक्षण को समाप्त करने का कोई भी प्रयास भाजपा के रहते संभव नहीं है।
आरक्षण नीतियों को लेकर बहस हमेशा से राजनीतिक अखाड़ा रही है। भागवत के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि RSS और भाजपा किसी भी रूप में आरक्षण के समाप्ति के खिलाफ हैं। उनका मानना है कि आरक्षण समाज की उन्नति और समानता के लिए आवश्यक है।
इस प्रकार, RSS के प्रमुख द्वारा आरक्षण के समर्थन में किए गए बयानों से यह संदेश स्पष्ट होता है कि संघ समाज के हर वर्ग की उन्नति और समानता में विश्वास रखता है। इसके माध्यम से वे न केवल अपने सिद्धांतों को दृढ़ कर रहे हैं बल्कि एक जिम्मेदार सामाजिक संगठन के रूप में अपनी भूमिका को भी पुनः पुष्ट कर रहे हैं।