चंडीगढ़ (जसप्रीत): सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पंजाब और हरियाणा सरकारों के मुख्य सचिवों को तलब किया और उनसे पूछा कि राज्यों में पराली जलाने के खिलाफ कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं की गई। शीर्ष अदालत ने बुधवार को पंजाब और हरियाणा सरकारों के मुख्य सचिवों को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा जारी निर्देशों का पालन न करने पर तलब किया। न्यायमूर्ति अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने सवाल किया कि पंजाब और हरियाणा राज्य उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने में अनिच्छुक क्यों हैं और पराली जलाने के लिए महज मामूली जुर्माना ही क्यों वसूला जा रहा है।
न्यायमूर्ति ओका की अगुवाई वाली पीठ ने टिप्पणी की कि पिछले तीन वर्षों में आपने एक भी व्यक्ति पर मुकदमा नहीं चलाया है। केवल नाममात्र का जुर्माना लगाया गया है। इस बाबत कुछ भी क्यों नहीं किया गया है। बता दें कि सीएक्यूएम एक वैधानिक निकाय है जिसे दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए रणनीति तैयार करने का काम सौंपा गया है। पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने धान की पराली जलाने वाले किसानों से मामूली जुर्माना वसूलने पर सवाल उठाए थे। यह देखते हुए कि पराली जलाने को लेकर एक भी अभियोजन मामला नहीं चलाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देशों को लागू करने के लिए कोई प्रयास नहीं करने पर सीएक्यूएम की खिंचाई की। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के खतरे से निपटने के लिए सीएक्यूएम को अधिक सक्रिय होने की जरूरत है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए 2020 में सीएक्यूएम की स्थापना की गई थी ताकि वायु गुणवत्ता सूचकांक के आसपास की समस्याओं का बेहतर समन्वय, अनुसंधान, पहचान और समाधान किया जा सके। हर साल, दिल्ली और पूरे एनसीआर को अक्टूबर से दिसंबर तक वायु प्रदूषण का खामियाजा भुगतना पड़ता है जिसका मुख्य कारण फसल अवशेष जलाना है।