नई दिल्ली (नेहा): सुप्रीम कोर्ट से मंगलवार को केंद्रीय भारी उद्योग और इस्पात मंत्री और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को जोर का झटका लगा। शीर्ष कोर्ट ने कुमारस्वामी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने दो भूखंडों की अधिसूचना निरस्त करने से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में कार्यवाही रद करने का अनुरोध किया था। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने कर्नाटक हाई कोर्ट के नौ अक्टूबर 2020 के आदेश के खिलाफ कुमारस्वामी की याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया। हाई कोर्ट ने इस मामले में उनके खिलाफ कार्यवाही रद करने से मना कर दिया था। वरिष्ठ अधिवक्ता हरीन रावल और अतिरिक्त महाधिवक्ता अमन पंवार कर्नाटक राज्य की ओर से पेश हुए और सुप्रीम कोर्ट में कुमारस्वामी की याचिका का विरोध किया।
यह मामला एमएस महादेव स्वामी द्वारा बेंगलुरु में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत विशेष न्यायाधीश के समक्ष दायर एक निजी शिकायत से संबंधित है, जिसमें कुमारस्वामी और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की गई है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि जून 2006 से अक्टूबर 2007 के बीच कुमारस्वामी के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान बेंगलुरु दक्षिण के हलगेवदेरहल्ली गांव में दो भूखंडों की अधिसूचना रद कर दी गई थी ताकि आर्थिक लाभ प्राप्त किया जा सके। शीर्ष अदालत ने 18 जनवरी 2021 को कुमारस्वामी की याचिका पर शिकायतकर्ता और कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि अपनी ड्यूटी कर रहे सरकारी अधिकारी पर आपराधिक मामले में मुकदमा चलाने के लिए पूर्व स्वीकृति आवश्यक है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) में यौन उत्पीड़न के मामले में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) की अधिकारी सुनेती टुटेजा के विरुद्ध आपराधिक कार्यवाही रद करते हुए यह टिप्पणी की।
पीठ ने कहा, ‘सिर्फ यह देखा जाना चाहिए कि क्या आरोपित अधिकारी अपने सरकारी कर्तव्यों का पालन कर रहा था और अगर उत्तर सकारात्मक है तो उसके विरुद्ध मामलों का संज्ञान लेने के लिए पूर्व अनुमति आवश्यक है।’ शीर्ष अदालत ने कहा कि सीआरपीसी की धारा-197 के तहत पूर्व अनुमति लिए बिना मामले का संज्ञान लेकर ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट और इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गलती की। वह हाई कोर्ट के आदेश के विरुद्ध अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसने टुटेजा के विरुद्ध आरोप पत्र एवं समन आदेश रद करने से इन्कार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुकदमा चलाने की पूर्व अनुमति के अभाव में आपराधिक कार्यवाही व 2022 का समन आदेश अवैध है।