इस्लामाबाद (राघव): पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच एक बार फिर से तनाव बढ़ गया है। दोनों देशों के बीच सीमा पर होने वाली झड़पें और संघर्ष लगातार बढ़ते जा रहे हैं। अफगानिस्तान के तालिबानी लड़ाके डूरंड लाइन पार करके पाकिस्तान के अंदर घुस रहे हैं और वहां स्थित पाकिस्तानी सैन्य चौकियों पर हमले कर रहे हैं। हाल ही में एक और सनसनीखेज घटना सामने आई, जब तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने पाकिस्तान की एक सैन्य चौकी पर कब्जा कर लिया और इसे लेकर सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ। इस वीडियो में तालिबान के लड़ाके पाकिस्तानी सैन्य चौकी पर ध्वज उखाड़कर अपनी झंडे लहरा रहे हैं। हालांकि, अब पाकिस्तान की सेना ने इस घटना पर अपनी सफाई दी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि यह चौकी हमले से पहले ही खाली कर दी गई थी और सैन्यकर्मियों को अन्य स्थानों पर शिफ्ट किया जा चुका था।
पाकिस्तान की सैन्य स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है। अफगान तालिबान के पास न केवल अत्याधुनिक हथियार हैं, बल्कि उनकी रणनीतिक स्थिति भी पाकिस्तान के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है। तालिबान के पास एके-47, मोर्टार, रॉकेट लॉन्चर जैसे अत्याधुनिक हथियारों का विशाल भंडार है। इसके अलावा, अफगानिस्तान के दुर्गम पहाड़ी इलाकों और गुफाओं से तालिबानी लड़ाके पाकिस्तान में घुसकर हमले करते हैं, जिससे पाकिस्तानी सेना के लिए इन इलाकों में आतंकवादियों का मुकाबला करना बेहद कठिन हो गया है। तालिबान के पास इन छिपने के स्थानों के बारे में गहरी जानकारी है, जिससे वे आसानी से पाकिस्तानी सैनिकों से बच जाते हैं और अचानक हमले करते हैं। पाकिस्तान की सेना को इस रणनीतिक स्थिति का सामना करना एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। तालिबान के बढ़ते प्रभाव ने पाकिस्तान को अपनी सीमाओं और आंतरिक सुरक्षा पर पुनः विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। पाकिस्तान की सेना पहले ही बलूचिस्तान में सक्रिय आतंकवादी समूहों, जैसे कि बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA), के खिलाफ संघर्ष कर रही है। अब तालिबान के साथ संघर्ष ने पाकिस्तानी सेना की स्थिति को और भी कठिन बना दिया है।
तालिबान के पास इस समय लगभग 1,50,000 सक्रिय लड़ाके हैं, जो उसे अपनी सैन्य शक्ति का बड़ा स्रोत प्रदान करते हैं। तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद अपनी सेना को औपचारिक रूप देने के लिए कई सुधार किए हैं। अफगानिस्तान में तालिबान ने एक विशेष बल और आठ इन्फैंट्री कोर के तहत तीन बटालियनों की स्थापना की है। इसके अलावा, तालिबान के पास अत्याधुनिक हथियारों का बड़ा जखीरा है, जिसमें एके-47 राइफल्स, मोर्टार, रॉकेट लॉन्चर और अन्य भारी हथियार शामिल हैं। तालिबान की ताकत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कबीलाई इलाकों में बसे स्थानीय लोग और उनके लड़ाके हैं, जो तालिबान की विचारधारा से प्रभावित हैं। इसके अलावा, कट्टर धार्मिक संस्थाएं और मदरसे भी तालिबान की मदद करते हैं। पाकिस्तान की सेना और आईएसआई का गुप्त समर्थन भी तालिबान को मजबूत करता है।
पाकिस्तान और तालिबान के रिश्ते जटिल रहे हैं। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में तालिबान को समर्थन दिया था, लेकिन अब वही तालिबान पाकिस्तान के लिए एक खतरे की तरह उभरा है। पाकिस्तान का आंतरिक असंतोष और अफगान तालिबान से बढ़ते संघर्ष ने यह साबित कर दिया है कि पाकिस्तान की रणनीति ने उसकी सुरक्षा स्थिति को और जटिल बना दिया है।