नई दिल्ली (एनआरआई राष्ट्रीय): वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद से ही नरेंद्र मोदी देश की सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक विरासत को सहेजने और संवारने की तमाम कोशिश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों की बदौलत ही भारत का आध्यात्मिक वैभव दिव्य और भव्य बन रहा है।
पीएम मोदी ने सनातन संस्कृति के वैभव को ही ही नहीं, बल्कि जैन, सिख, बौद्ध हर धर्म के ऐतिहासिक विरासत को सहेजने और संवारने का काम किया। चाहे वर्ष 2019 में सिखों के पहले गुरू, गुरू नानक देव जी के 550वें गुरपुरब पर पाकिस्तान में करतारपुर गुरुद्वारे को भारत के सिखों के दर्शन लिए खुलवाने का काम हो या प्रकाश पर्व पर हर साल सिखों के साथ गुरुद्वारे में जाना और मत्था टेकना हो। इसके जरिए भी वह अपनी विरासत को संवारने और सहेजने का संदेश देते रहे।
पीएम मोदी के प्रयासों का ही नतीजा रहा है कि भारत में पर्यटन क्षेत्र के विकास को पंख लग गया. 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद जिस तरह से दर्शन के लिए यहां जनसैलाब उमड़ा है, उससे पता चल जाता है कि मंदिरों का विकास देश की अर्थव्यवस्था को कैसे आगे ले जाता है।
देशभर में धार्मिक स्थलों का भी जीडीपी में अहम योगदान
एक रिपोर्ट की मानें तो देशभर में धार्मिक स्थलों का भी जीडीपी में अहम योगदान है। धार्मिक स्थलों से जीडीपी का 2.32 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा आता है। इसके साथ ही बता दें कि ऐसे में मंदिरों के सहेजने और संवारने के सतत प्रयास की बदौलत वर्ष 2028 तक देश में एक करोड़ से ज्यादा रोजगार के नए अवसर पैदा होने की भी संभावना है. आंकड़ों की मानें तो मंदिर की अर्थव्यवस्था देश में 3.02 लाख करोड़ रुपये या लगभग 40 अरब डॉलर से ज्यादा की हो गई है।
पीएम मोदी का विजन ही है कि जिस रफ्तार से देश में धार्मिक पर्यटन बढ़ा है, उसके साथ ही होटल, यातायात उद्योग के साथ ही छोटे व्यवसायियों को जमकर फायदा हो रहा है. भारत में 5 लाख से ज्यादा मंदिर और तीर्थ स्थल के साथ बड़ी संख्या में गुरुद्वारे और 35 हजार के आसपास गिरजाघर (चर्च) हैं। ऐसे में तीर्थ स्थलों को विकास भारत में आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बेहद जरूरी था।
अयोध्या में राम मंदिर आया दान भारत के रक्षा बजट से कहीं ज्यादा
पीएम मोदी के धार्मिक विकास विजन का ही नतीजा है कि अयोध्या में राम मंदिर के लिए इतने करोड़ रुपये का दान मिले, जो रक्षा बजट से कहीं ज्यादा है। इसके साथ ही तिरुमाला तिरुपति (आंध्र प्रदेश), वैष्णो देवी ( जम्मू-कश्मीर), अंबाजी (गुजरात), द्वारकाधीश (गुजरात), सोमनाथ (गुजरात), पंजाब में स्वर्ण मंदिर, गुवाहाटी में कामाख्या मंदिर, मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि, वृंदावन में बांके बिहार मंदिर, पद्मनाभ मंदिर, सिद्धिविनायक मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर जैसे कई मंदिरों में पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और यहां की कमाई में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है।
बतादें की तीर्थ स्थलों का विकास उस शहर और उसके आसपास के संपूर्ण क्षेत्र के विकास से जुड़ा होता है। ऐसे में भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के द्वारा पर्यटन योजना में बड़ी संख्या में ऐसे स्थलों को शामिल किया गया है, जहां तेजी से बुनियादी सेवाओं के साथ जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किया जा रहा है।
कश्मीर घाटी में फैले कई पुराने मंदिरों के पुनरुद्धार का काम शुरू
इसके साथ ही, मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर घाटी में फैले कई पुराने मंदिरों के पुनरुद्धार का काम शुरू किया। सबसे पहले इसके अंतर्गत गुलमर्ग के शिव मंदिर को पुनर्विकास किया गया। पीएम मोदी ने वहां की 740 जीर्ण-शीर्ण पड़े मंदिरों के पुनर्विकास के काम में तेजी लाई।