उन्नाव (नेहा): मगरवारा स्टेशन के पास शंकरपुरवा बस्ती में रेलवे की जमीन पर कब्जा कर बनाए गए मकानों पर मंगलवार को बुलडोजर चला ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई। रेलवे ने 26 अप्रैल को घरों में नोटिस चश्पा कर कब्जा हटाने की हिदायत दी थी। इसके बाद भी कब्जा नहीं हटाया गया। मगरवारा रेलवे स्टेशन के पास करीब 50 साल पहले बोन मिल स्थापित की गई थी। जिसमें काम करने वाले मजदूर आस पास झोपड़ी डालकर रहते थे। वर्ष 1978 में यह मिल बंद हो गई। यहां रह रहे मजदूर अपने गांव जाने की जगह झुग्गी झोपड़ी बना यहीं बस गए थे। बाद में मजदूरों की इस बस्ती को ग्राम पंचायत में जोड़कर शंकर पुरवा मजरा बना दिया गया।
लोगों ने पक्के घर भी बना लिए। प्रशासन ने राशन व आधार कार्ड समेत अन्य दस्तावेज भी इन्हें जारी कर लिए। बिजली कनेक्शन लेकर यहां रहने वाले लोग लाइट भी जलाने लगे और स्थाई निवासी हो गए। एक साल पहले रेलवे ने अपनी जमीन को सुरक्षित करने के लिए निशानदेही की तो रह रहे लोगों को रेलवे की जमीन पर काबिज होने का दावा कर नोटिस देकर जमीन खाली करने की हिदायत दी। 26 अप्रैल 2024 को रेलवे ने भवन स्वामियों को अंतिम नोटिस देकर कब्जा हटाने की चेतावनी दी थी। इसके बाद भी किसी ने कब्जा नहीं हटाया।
मंगलवार को आरपीएफ इंस्पेक्टर हरीश कुमार मगरवारा चौकी पुलिस के अलावा आइओडब्ल्यू लखनऊ के सीनियर सेक्शन इंजीनियर राम नरेश, एसएसई अब्दुल जब्बार के साथ बुलडोजर लेकर शंकरपुरवा पहुंचे और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू कर दी। लोगों के विरोध करने पर पुलिस ने कार्रवाई की चेतावनी दी तो वह सिसकियों के बीच आशियाने को उजड़ता देखते रहे। लखनऊ के सीनियर सेक्शन इंजीनियर राम नरेश ने बताया कि रेलवे की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा किया गया था। पूर्व में भी कई बार नोटिस के बाद भी कब्जा नहीं हटाया गया। जिसपर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई है।
रेलवे विभाग द्वारा सभी घरों में 26 अप्रैल 2024 को नोटिस चस्पा कर खाली करने को कहा गया था। पुनः रेलवे विभाग ने 13 सितंबर को रिमाइंडर नोटिस चस्पा कर अतिक्रमण हटाने की चेतावनी दी गई थी। कहा था कि 20 सितंबर के बाद बिना किसी पूर्व सूचना के अतिक्रमण को ढहा दिया जाएगा। मंगलवार को बुलडोजर से 15 से 20 घर गिरा दिए गए।
मगरवारा ग्राम प्रधान राजकुमार रावत ने रेलवे विभाग से कुछ घरों के लिए एक माह का समय मांगा है। कहा कि एक माह के अंतराल में यह लोग घरों से अपना सामान हटा लेंगे। इस पर रेलवे के अधिकारियों ने बीच में बने घरों को एक माह का समय दिया है। ग्राम प्रधान राज कुमार रावत ने लोगों से बात की और कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों से वार्ता कर आवासीय पट्टा के तहत घर बनाने के लिए भूमि दिलाई जाएगी।