नई दिल्ली (एनआरआई राष्ट्रीय) : केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने हाल के दिनों में कुछ ऐसे फैसले लिए हैं, जिनका देशभर के किसानों को तो फायदा मिलेगा ही, लेकिन सबसे ज्यादा मुनाफे में रहेंगे पंजाब के किसान। बजट में भी इसकी झलक देखने को मिली। सरकार ने बजट में दालों की आत्मनिर्भरता के लिए मिशन लॉन्च करने का एलान किया। इसका बड़ा फायदा पंजाब के किसानों को मिल सकता है। आइए समझते हैं…
60 के दशक में पंजाब में होती थी दलहन की बड़ी खेती
पंजाब में 1960 के दशक में 9.17 लाख हेक्टेयर जमीन पर रबी और खरीफ सीजन में अलग-अलग दालों की पैदावार की जाती थी। 9.17 लाख हेक्टेयर जमीन पर कुल 7.26 लाख टन दाल की पैदावार होती थी। दालों की पैदावार को बढ़ावा न मिलने की वजह से यह घटकर आज 23 हजार हेक्टेयर जमीन पर सिमट कर रह गई है।
दालों में आत्मनिर्भरता के जरिए पंजाब अपनी 6 लाख टन खपत की जरूरत को पूरा कर सकता है। केंद्रीय बजट में खासकर पंजाब के किसानों को ध्यान में रखते हुए दालों की पैदावार में आत्मनिर्भरता लाने के लिए अहम कदम उठाया गया है। यहां तक की केंद्र सरकार एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे पंजाब के किसानों के हित में फरवरी 2024 में अनुबंध की शर्त पर मसूर, उड़द, अरहर यानी तूर, मक्की और कपास पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने की पेशकश कर चुकी है।
ऐसे में केंद्र भी पंजाब के किसानों के हित में फसलों पर एमएसपी के साथ फसल विविधीकरण की उनकी मांग को पूरा करने के लिए नई घोषणा की है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने दालों में आत्मनिर्भरता के लिए बजट में 1 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, इससे सरकार ने 2029 तक आयात खत्म करने का लक्ष्य है।
पंजाब में दालों की पैदावार राष्ट्रीय औसत से अधिक
आंकड़ों की अगर बात करें तो अब भी पंजाब में दालों की पैदावार राष्ट्रीय औसत से अधिक है, लेकिन वह प्रदेश की कुल खपत को भी पूरा नहीं कर पा रही है। खरीफ सीजन में दालों की पैदावार की अगर बात करें तो अरहर, उड़द, मूंग की जो पैदावार चार दशक पहले 99 हजार हेक्टेयर थी, वह अब सिमट कर 9 से 10 हजार हेक्टेयर रह गई है। इसी तरह रबी के सीजन में दालों की पैदावार का आंकड़ा 8.81 लाख हेक्टेयर से 8 से 10 हजार हेक्टेयर रह गया है।
पंजाब में की जा रही है धान और गेहूं की सर्वाधिक पैदावार
पंजाब में धान और गेहूं की सर्वाधिक पैदावार की जा रही है। प्रदेश के भू जल स्तर में तेजी से गिरावट में चावल की खेती अहम कारण है। यही कारण है कि इस बार पंजाब सरकार ने केंद्र से फसल विविधीकरण के लिए स्पेशल पैकेज की मांग की थी। केंद्र ने स्पेशल पैकेज तो नहीं दिया, लेकिन दालों की पैदावार को बढ़ावा देने केलिए पंजाब पर फोकस रखते हुए नई योजना की घोषणा की है। प्रदेश में इस बार 185 लाख मीट्रिक टन धान की पैदावार का लक्ष्य रखा गया था।
प्रदेश में 3.2 मीलियन हेक्टेयर जमीन पर चावल की और 3.5 मीलियन हेक्टेयर जमीन पर गेहूं की पैदावार की जाती है। किसानों को कपास की खेती की तरफ मोड़ने के लिए भी राज्य सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। बता दें प्रदेश के कृषि मंत्री फसल विविधीकरण के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री को प्रति एकड़ 15 हजार रुपये के रूप में किसानों को गैप फंडिंग की मांग कर रहे हैं।