बेंगलुरु: कर्नाटक में लोकसभा की दौड़ ने नया तेवर अख्तियार कर लिया है क्योंकि तीन पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सदस्य, कांग्रेस-शासित इस राज्य में मुख्य चुनावी मुकाबले में उतरे हैं।
बसवराज बोम्मई, जगदीश शेट्टार और एच.डी. कुमारस्वामी की प्रतिस्पर्धा
बसवराज बोम्मई हावेरी से, जगदीश शेट्टार बेलगाम से, और एच.डी. कुमारस्वामी मांड्या से लोकसभा के लिए अपनी उम्मीदवारी पेश कर चुके हैं। ये तीनों ही अपने-अपने राजनीतिक करियर में राष्ट्रीय स्तर पर कुछ नया करने की दिशा में अग्रसर हैं।
बोम्मई और शेट्टार दोनों लिंगायत समुदाय से आते हैं और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सदस्य हैं; वहीं कुमारस्वामी वोक्कालिगा समुदाय से हैं और जनता दल (सेक्युलर) के राज्य प्रेसिडेंट के रूप में कार्यरत हैं, साथ ही वह पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवे गौड़ा के पुत्र हैं।
कांग्रेस के गढ़ में भाजपा और जेडी(एस) की चुनौती
कर्नाटक में कांग्रेस की सत्ता को चुनौती देते हुए, इन तीनों नेताओं का चुनावी मैदान में उतरना भाजपा और जेडी(एस) के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह तीनों नेता अपनी राजनीतिक विरासत और अनुभव के बल पर राज्य में एक नई राजनीतिक दिशा स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।
इस चुनावी सीजन में, वे कांग्रेस की वर्तमान सरकार को सख्त टक्कर देने के लिए तैयार हैं। उनकी उपस्थिति से कर्नाटक के राजनीतिक दृश्य में गरमागरमी आ गई है और वोटरों के बीच उत्साह बढ़ा है।
प्रमुख चुनावी मुद्दे और रणनीतियाँ
प्रमुख चुनावी मुद्दे जैसे कि विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और स्थानीय समस्याओं पर इन नेताओं की गहरी नजर है। वे अपने-अपने अनुभवों का उपयोग करते हुए विभिन्न योजनाओं और नीतियों का प्रस्ताव कर रहे हैं जो राज्य के विकास को नई गति दे सकते हैं।
इन तीनों नेताओं की रणनीति में लोगों से सीधा संवाद करना और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर ध्यान देना शामिल है। इसके अलावा, वे अपने प्रचार में सोशल मीडिया का भी सक्रिय रूप से उपयोग कर रहे हैं।
चुनावी वादों की बहार
कुमारस्वामी, शेट्टार, और बोम्मई ने अपने चुनावी कैंपेन में विभिन्न लोकलुभावन वादों का ऐलान किया है। उनके वादे विशेषकर ग्रामीण विकास, किसानों की समस्याओं के समाधान और युवा शक्ति के संवर्धन पर केंद्रित हैं।
इस बार के चुनाव में उनका मुख्य लक्ष्य कर्नाटक के विकास को एक नई ऊंचाई पर ले जाना है, जिससे समाज के हर वर्ग को बेहतर सुविधाएं और अवसर प्रदान किए जा सकें।
समापन
तीनों नेताओं की यह चुनावी रणनीति कर्नाटक के राजनीतिक परिदृश्य में एक नया मोड़ ला सकती है। वे न केवल अपने विरोधियों को चुनौती दे रहे हैं बल्कि वोटरों को नई उम्मीदें भी दे रहे हैं। आने वाले समय में इन चुनावों का परिणाम क्या होगा, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन यह स्पष्ट है कि कर्नाटक की राजनीति में इन तीनों का प्रभाव अनदेखा नहीं किया जा सकता।