नई दिल्ली (नेहा): हमारे देश में आज का दिन बेहद खास है। इस दिन देश के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष बाबा साहेब अंबेडकर की 134 जयंती मनाई जा रही है। इस दिन देशभर के सरकारी दफ्तरों, स्कूलों से लेकर कॉलेजों तक बाबा साहेब को श्रद्धांजलि देने और उनके द्वारा देश को दिए गए योगदान के लिए याद किया जाता है। बाबा साहेब का पूरा नाम डॉ. भीमराव अंबेडकर था। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 में मध्य प्रदेश के महू जिले में हुआ था। उनका जन्म एक महार परिवार में हुआ था। उस समय समाज में निचली जाति वालों को ऊंची जाति वालों की तरह पढ़ने, लिखने सहित अन्य कामों से वंचित रखा जाता है। कई बार उनके साथ इसी के चलते स्कूल में भेदभाव किया गया और उन्हें क्लास में अन्य बच्चों से अलग बैठाया गया। इसी के चलते उनके मन में एक अलग जागी और उन्होंने अपना पूरा जीवन दलितों के उत्थान के लिए लगा दिया। इसके बाद वे देशभर में पिछड़े वर्ग के लिए देश की बुलंद आवाज बनकर सामने आये।
बाबा साहेब ने ने वर्ष 1907 में दसवीं की परीक्षा पास की थी। बाद वे उन्होंने मुंबई यूनिवर्सिटी के एल्फिंस्टन कॉलेज (Elphinstone College) में वर्ष 1915 में इकोनॉमिक्स, सोशियोलॉजी, हिस्ट्री, फिलॉसफी और एंथ्रोपोलॉजी के साथ एमए किया। 1916 में ग्रेज इन में वकालत के कोर्स में दाखिला लिया। इसके बाद लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई की। उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से 1927 में इकोनॉमिक्स में पीएचडी की थी। उसके बाद 1952 में ऑनररी डिग्री भी हासिल की। डॉ. भीमराव अंबेडकर ने रुपये की समस्या: इसका उद्गम और समाधान (1923), बहिष्कृत भारत (1927), संघ बनाम स्वतंत्रता (1936), जाति का विनाश (1939), पाकिस्तान पर विचार (1940) जैसी पुस्तकें लिखीं। भारत के आजाद होने के बाद वे देश के पहले कानून मंत्री बने थे। इसके बाद भी उन्होंने सामाजिक सुधारों को आगे बढ़ाना जारी रखा। इन्हीं सुधारों में एक बड़ा कदम था- हिंदू कोड बिल। यह बिल खास तौर पर महिलाओं के अधिकारों के लिए लाया गया था।