जालंधर लोकसभा सीट को लेकर कांग्रेस के आंतरिक घमासान ने नई करवट ली है। पंजाब के राजनीतिक गलियारों में इस सीट के लिए चल रही लड़ाई ने हाल ही में एक नया मोड़ लिया, जब पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के जन्मदिन के उत्सव पर विवाद सामने आया।
जालंधर सीट: कांग्रेस की रणनीति
पंजाब की जालंधर लोकसभा सीट, जो कांग्रेस के लिए एक मजबूत गढ़ मानी जाती रही है, पिछले उप-चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) के सुशील कुमार रिंकू (जो अब बीजेपी में हैं) द्वारा जीत ली गई थी। इस जीत ने कांग्रेस को गहरा झटका दिया था। हालांकि, इस बार कांग्रेस इस सीट पर कोई भी चूक नहीं चाहती और अपनी पूरी ताकत लगाने की तैयारी में है।
जालंधर सीट पर चुनावी मैदान में इस बार कांग्रेस ने अपने वजनदार उम्मीदवार के रूप में पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी का नाम तय किया है, जिनका आधिकारिक ऐलान होना अभी बाकी है। इसी कड़ी में, मंगलवार को उनके जन्मदिन के अवसर पर आदमपुर से विधायक सुखविंदर सिंह कोटली ने एक केक कटिंग कार्यक्रम आयोजित किया, जिस पर “साड्डा चन्नी जालंधर” लिखा हुआ था।
हालांकि, इस कार्यक्रम ने पार्टी के अंदर एक नया विवाद खड़ा कर दिया। विधायक बिक्रमजीत सिंह मजीठिया ने इस केक कटिंग पर सवाल उठाए और इसे पार्टी के लिए अशुभ संकेत बताया। उन्होंने कहा कि जब दो हलकों में पार्टी की जमानत जब्त हो चुकी है, तो यहां ट्रायल क्यों बाकी है?
इस पूरे प्रकरण ने पंजाब कांग्रेस में एक नए तरह की उथल-पुथल को जन्म दिया है। जालंधर लोकसभा सीट के लिए कांग्रेस की रणनीति और उम्मीदवार चयन को लेकर उठे इस विवाद ने पार्टी के आंतरिक संघर्ष को उजागर किया है। आगामी चुनावों में इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।