एटा (किरण): पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए सरकार ने पराली जलाने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। साथ ही निगरानी के लिए जगह-जगह सेटेलाइट की व्यवस्था की है। जिसके माध्यम से पराली जलाने की जानकारी मिलती है। अवागढ़ क्षेत्र में दो खेतों के अंदर पराली जलाई गई। जिसकी सेटेलाइट से जानकारी मिली। अधिकारियों ने खेत का निरीक्षण करते हुए दो किसानों पर जुर्माना किया। साथ ही गांव के अन्य किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक किया। प्रदूषण को रोकने के लिए पराली प्रबंधन पर विशेष जोर दिया जा रहा है। किसानों को जागरूक करने के साथ ही संसाधन भी दिए जा रहे हैं। इसके बाद भी किसान खेत में रखी पराली काे जलाकर नियमों की अनदेखी कर रहे हैं।
ताजा मामला अवागढ़ क्षेत्र की पंचायत जिनावली से प्रकाश में आया है। जहां किसान मनोज एवं रोहताश ने खेत में पड़ी पराली जला दी। इसकी जानकारी अधिकारियों को सेटेलाइट के माध्यम से मिली। जिस पर अधिकारी खेत पर पहुंचे तो उन्हें पराली जली हुई मिली। कृषि उपनिदेशक राेताश सिंह ने बताया कि पराली जलाने पर दो किसानों पर 2500-2500 रुपये का जुर्माना किया गया। उन्होंने बताया कि किसान कम्बाइन हार्वेस्टर बिना सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम के माध्यम से ही धान की कटाई कराई जाए। जिससे पराली का सही तरह से प्रबंधन हो सके।
जनपद में पडोसी जिले के किसान भी उर्वरक खरीदने के लिए पहुंच रहे हैं। इसे लेकर खाद विक्रेताओं को गैर जनपदीय लोगों को उर्वरक बिक्री न करने का आदेश दिया गया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि आधार कार्ड, जोत बही के हिसाब से खाद वितरण किया जाए। जिससे जरूरत के हिसाब से किसानों को खाद मुहैया हो सके। जिले की सरकारी एवं निजी दुकानों पर कासगंज, फिरोजाबाद के लोग उर्वरक खरीदने के लिए पहुंचने की प्रशासन को सूचना मिल रही है। जिस पर जिला कृषि अधिकारी की तरफ से गैर जनपदीय लोगों को खाद की बिक्री न करने का आदेश दिया गया है।
जिला कृषि अधिकारी ने निर्देशित करते हुए कहा कि किसानों को आधार कार्ड, जोत बही के हिसाब से पीओएस मशीन से उर्वरक का वितरण किया जाना चाहिए। दूसरे जिले के लोगों को खाद बिक्री करने पर कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही मूल्य से अधिक में खाद बिक्री करने वाले दुकानदारों को लाइसेंस समाप्त करने जैसी कार्रवाई की चेतावनी भी जारी की गई है। वहीं जिला कृषि अधिकारी डा. मनवीर सिंह ने बताया कि किसान संतुलित मात्रा में उर्वरक का प्रयोग करें। जिससे मृदा में पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व मौजूद रह सकें।
कृषि विभाग की तरफ से किसानों को फसल में उर्वरक प्रयोग के लिए जागरूक किया जा रहा है। जिसमें गेहूं की एक एकड फसल में तीन बैग यूरिया और 69 किलोग्राम डीएपी, सरसों में यूरिया 112 किलोग्राम प्रति एकड एवं 50 किलोग्राम डीएपी का प्रयोग किया जाना चाहिए। इसके अलावा आलू में 112 किलोग्राम एक एकड में यूरिया और 125 किलोग्राम डीएपी उर्वरक का प्रयोग किया जाना चाहिए। जिससे मृदा उर्वरका शक्ति ठीक रहती है।