नई दिल्ली (किरण): वक्फ संशोधन विधेयक की पड़ताल कर रही संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष पेश दो प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने गुरुवार को संशोधित विधेयक से ‘वक्फ बाई यूजर्स’ प्रविधान हटाने पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की। आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज और आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के प्रतिनिधि जेपीसी के समक्ष पेश हुए।
महाज ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इससे पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित होगी। साथ ही उम्मीद जताई कि यह भ्रष्टाचार व अवसरवाद खत्म करने की दिशा में अहम कदम साबित होगा। महाज प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि देश कानून से चलना चाहिए, न कि धार्मिक ग्रंथों से। उसने समिति से कहा कि विधेयक में ‘वक्फ बाई यूजर्स’ का उल्लेख नहीं है और इसे विधेयक में शामिल किया जाना चाहिए।
महाज ने पसमांदा मुस्लिमों व महिलाओं को वक्फ की प्रबंध समितियों में शामिल करने और वक्फ संपत्तियों का कैग से आडिट कराने की भी मांग की।
पर्सनल ला बोर्ड ने विधेयक के उस प्रविधान पर आपत्ति की जिसके मुताबिक वक्फ सृजित करने का अधिकार उसी व्यक्ति को होगा जो पांच वर्षों से मुस्लिम धर्म का पालन कर रहा हो। बोर्ड ने कहा कि ऐसा प्रविधान असंवैधानिक और संसद के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इसे समुदाय के सदस्यों की धार्मिक निगरानी माना जाएगा।
पटना की चाणक्य नेशनल ला यूनिवर्सिटी के कुलपति फैजान मुस्तफा भी जेपीसी के समक्ष पेश हुए और ‘एक राष्ट्र, एक कानून’ एवं समान नागरिक संहिता को लेकर कुछ टिप्पणियां कीं, जिनका विपक्षी सदस्यों ने कड़ा विरोध किया। वहीं, भाजपा और राजग के सदस्यों ने भी उनकी कुछ दलीलों पर सवाल उठाया। इस दौरान एक भाजपा सांसद और कुछ विपक्षी सदस्यों के बीच गर्मा-गर्म बहस हो गई। एक भाजपा सांसद ने एक विपक्षी सदस्य पर दुर्व्यवहार का आरोप भी लगाया।